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6 प्रिंसिपल जिनके आधार पर गूगल सर्च इंजन में रैंकिंग बढती है

आप में से अधिकतर लोगों ने Facebook  Groups या SEO Agency से सुना होगा की गूगल में अपडेट आया है जिससे की आपको लगता है कि हमारी वेबसाइट की रैंकिंग पर असर पड़ेगा |

गूगल पर वेबसाइट को रैंक कैसे करें
कई बार google सर्च इंजन में हुए बदलाव को अपने ब्लॉग के माध्यम से वेबमास्टरों को बताता है. लेकिन जो लोग गूगल के ब्लॉग को रेगुलर रीड नहीं करते हैं उन्हें इसके बारे में पता नही चल पाता है . हालाँकि google में जितने भी बदलाव होते हैं , वे सभी कुछ प्रिंसिपल पर आधारित होते हैं जिनके बारे में अगर हम जान लें तो हमें अपनी वेबसाइट को रैंक करने में काफी मदद मिलेगी. 

google इसके लिए कई इवेंट आयोजित करता है जिसमे उनकी टीम सर्च इंजन के बारे मैं बताती है. मैं हाल ही में google के वेबमास्टर इवेंट में शामिल हुआ. जो delhi में आयोजित किया गया था. जिसमे टीम google से सर्च इंजन बेसिक्स और Adsense टीम द्वरा उनके कुछ बेसिक प्रिंसिपल के बारे में बताया गया की कैसे google की शुरुआत हुई थी , कैसे कैसे गूगल ने वर्ल्डवाइड अपने आप को विकसित किया और गूगल के फ्यूचर प्लान्स क्या क्या है. ये पोस्ट मैं गूगल के दिल्ली इवेंट के आधार पर लिख रहा हूँ जिससे आपको गूगल सर्च रेंकिंग में हेल्प मिलेगी. google के बेसिक 6 पॉइंट हैं जिनको बेस बना कर गूगल सर्च इंजन में बदलाव करता है | 

आपको क्या लगता है  गूगल एक साल में कितनी बार सर्च इंजन को अपडेट करता होगा ? 
अगर आपको नहीं पता तो आज जान लीजिये, गूगल ने अकेले वर्ष 2017 में सर्च इंजन में 2500 बदलाव किये हैं जो कि हर दिन के हिसाब से 6 अपडेट आता है. हालाँकि गूगल ने 2018 की अपनी रिपोर्ट अभी साझा नहीं की है 

तो आप इस रिपोर्ट को देखकर अंदाजा लगा सकते हो गूगल कितना चेंज होता रहता है. गूगल का मानना है कि हमेशा अपडेट होते रहना चाहिए. 

गूगल के बेसिक 6 पॉइंट जिनसे कोई भी वेबसाइट आसानी से रैंक हो सकती है 
1. कंटेंट की गुणवत्ता ( Quality Content )
2. सर्च फ्रेंडली (Search friendly )
3. मोबाइल फ्रेंडली (mobile friendly )
4. फ़ास्ट  (fast) 
5. सुरक्षित  (secure)
6. ढांचागत ( Structured )



1. Quality content : गूगल सबसे पहले कंटेंट की क्वालिटी देखता है कि वेबसाइट पर जो कंटेंट है उसकी गुणवत्ता कैसी है , अर्थात वो कंटेंट कहीं से कॉपी तो नहीं किया गया है. 

अगर कोई आपका कंटेंट कॉपी करता है तो इससे आपको कोई असर नहीं पड़ेगा , क्योंकि गूगल के सर्वर पर आपका डाटा पहले ही जा चूका है तो जो आपका कंटेंट कॉपी करेगा गूगल के सिस्टम उसको डिटेक्ट कर लेगा |
इसलिए पोस्ट लिखते समय कंटेंट की गुणवत्ता का ध्यान जरुर रखिये. कंटेंट की गुणवत्ता देखने के लिए आप नीचे दिए गये बिन्दुओं को फॉलो करें , और अपने आप से पूछें (गूगल आर्टिकल की गुणवत्ता देखने के लिए इन फैक्ट पर काम करता है )

  • क्या आप उस जानकारी से सहमत है जो आपने आर्टिकल में दी है ?
  • क्या ये आर्टिकल किसी एक्सपर्ट द्वारा लिखा जाता तो ऐसा ही होता ?
  • क्या ये आर्टिकल ओरिजिनल कंटेंट और इनफार्मेशन , ओरिजिनल रिपोर्टिंग , ओरिजिनल रिसर्च ओरिजिनल एनालिसिस साझा करता है ?
  • क्या ये आर्टिकल सही तरीके से लिखा गया है जिसमे किसी भी प्रकार की ग्रामर मिस्टेक और गलत फैक्टर का प्रयोग नहीं किया गया है ?
  • ये आर्टिकल जिस वेबसाइट पर पब्लिश हो रहा है ,वो वेबसाइट कहीं डुप्लीकेट वेबसाइट या कॉपी वेबसाइट तो नहीं है , जिसमे वही आर्टिकल को दुसरे कीवर्ड का प्रयोग करके प्रकाशित किया जा रहा हो.

2. Search friendly : सर्च फ्रेंडली का अर्थ है की google bot जब आपकी वेबसाइट को क्रॉल करने आये तो यूज़ मेटा टैग और इमेज डिस्क्रिप्शन के माध्यम से वेबसाइट के कंटेंट समझ में आ जाये , कि वेबसाइट किसके बारे में जानकारी देती है. इसके लिए सबसे आसान तरीका है पोस्ट में मेटा डिस्क्रिप्शन का उपयोग अवश्य करें.

अगर आपको पता लगाना है कि आपकी वेबसाइट सर्च फ्रेंडली है या नहीं है तो आप गूगल सर्च कंसोल के माध्यम से से आसानी से पता लगा सकते हो.

गूगल नीचे दिए फैक्ट के आधार पर तय करता है कि आपकी वेबसाइट सर्च फ्रेंडली है या नहीं 

  • अच्छे टाइटल ओर डिस्क्रिप्शन बनायें : जब आप आर्टिकल का टाइटल ओर डिस्क्रिप्शन लिखते है तो ये ध्यान रखें कि आप जो टाइटल और डिस्क्रिप्शन दे रहे हैं आर्टिकल उसी के बारे में लिखा गया है.
  • अगर आर्टिकल में इमेज यूज़ कर रहे हैं तो अच्छी गुणवत्ता की इमेज डालें और हमेशा आर्टिकल के उपर इमेज को प्रकाशित करें जिससे इमेज को आसानी से समझा जा सके. इसके लिए आप इमेज में कैप्शन दे सकते हैं.
  • अगर पेज अपडेट किया है तो अपडेट की डेट पेज पर जरुर दिखाएँ 
  • सही समय जोन का प्रयोग करें ( ISO8601 फॉर्मेट में समय जोन प्रकाशित करें )
  • सर्च इंजन मेटा टैग में किसी अन्य तारीख का प्रयोग न करें , ध्यान रखें केवल सर्च इंजन मेटा टैग में आपको किसी दूसरी डेट्स का प्रयोग नहीं करना है, बाकी आर्टिकल में आप दूसरी डेट्स का प्रयोग कर सकते हैं. 
  • गूगल की स्ट्रक्चर डाटा गाइडलाइन्स  को फॉलो जरुर करें. 
3. Mobile friendly : आजकल लगभग 80% इन्टरनेट मोबाइल से चलता है तो गूगल सबसे पहले यूजर को ध्यान में रखता है जिसके लिए यूजर को वेबसाइट एक्सेस करने में कोई परेशानी न हो. इसके लिए गूगल मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट को अधिक तवज्जो देता है , अर्थात मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट जल्दी रैंक करती हैं. 

गूगल मोबाइल फर्स्ट इंडेक्स रूल को फॉलो करता है जिनमे इन फैक्टर पर गूगल काम करता है.

  • वेबसाइट पर एक सामान कंटेंट होना जरूरी है 
  • समान आउट-लिंक
  • इमेज और ऑल्ट टेक्स्ट उपलब्ध होना चाहिए 
  • मोबाइल वेब के लिए स्ट्रक्चर डाटा और दुसरे annotation का प्रयोग जरुर करें जैसे कि (amp , hreflang , etc.)
  • m- डॉट  साईट के लिए सर्वर की कैपेसिटी होनी चाहिए 
  • अगर आपकी वेबसाइट responsive design है तो आपको मोबाइल फ्रेंडली के किसी फैक्ट में चेंज करने की आवश्यकता नहीं है, वेबसाइट की एक ही यूआरएल सभी डिवाइस में सैम कंटेंट के साथ होनी चाहिए.

4. fast : एक सर्वे के अनुसार अगर किसी वेबसाइट का लोड टाइम 4 सेकंड से ज्यादा है तो यूजर वेबसाइट को छोड़कर दूसरी वेबसाइट चले जाता है |

आपकी वेबसाइट का लोड टाइम जितना कम होगा आपकी वेबसाइट उतनी ही अच्छी तरह रैंक करेगी , तो कोशिश करें कि वेबसाइट का लोड टाइम कम से कम हो, वेबसाइट का लोड टाइम कम करने के लिए आप प्लगइन का यूज़ कर सकते हो.  
  • वेबसाइट की स्पीड को कम करने के लिए वर्ड प्रेस पर कई सरे प्लगइन उपलब्ध है 
  • अगर आपको ब्लॉगर पर वेबसाइट का लोड टाइम कम करना है तो ध्यान रखें कि css या java script का प्रयोग कम ही करें | इसके आलावा यदि इमेज यूज़ कर रहे हैं तो इमेज का साइज़ ऑप्टिमाइज़ करके अपलोड करें 
5.Secure : लोग जब किसी वेबसाइट पर विजिट करते हैं तो कोई नहीं चाहेगा कि उनका डाटा चोरी हो  या हैकर उनकी जरूरी जानकारी चुराकर उनके साथ फ्रॉड करे. इसलिए वेबसाइट का सिक्योर होना बहुत जरूरी है. गूगल अपने सभी इवेंट्स में इस बात को सबसे अधिक महत्त्व देता है कि वेबसाइट का सिक्योर होना बहुत जरूरी है. |

कोई वेबसाइट सुरक्षित है या नहीं इसकी जानकारी आपको ब्राउज़र में मिल जाती है. ब्राउज़र में जहाँ वेबसाइट का यूआरएल होता है उसी के लेफ्ट साइड में लॉक का सिंबल आटा है. यही लॉक Green है तो वेबसाइट सुरक्षित है. आपके उस वेबसाइट पर विजिट करने से सुरक्षा से सम्बंधित किसी भी प्रकार नुकशान नहीं होगा |

6. Structured : वेबसाइट के स्ट्रक्चर्ड होने का अर्थ है जब गूगल बोट आपकी वेबसाइट को क्रॉल करे तो यूज़ पूरी जानकरी मिल जाये कि आपकी वेबसाइट में कोन सी जानकारी कहाँ पर है. अपनी वेबसाइट में स्ट्रक्चर एरर देखने के लिए आप गूगल की हेल्प ले सकते हो.

conlusion : अगर आपको अपनी वेबसाइट को रैंक करना है तो आपको इन बेसिक बातो का ध्यान जरुर रखना चाहिए ताकि आपको वेबसाइट रैंक करने में कोई परेशानी न हो. अंत में यही कहूँगा की वेबसाइट को जितना हो सके यूजर फ्रेंडली बनायें और यूजर का फीडबैक लेते रहें जिससे आपको मालूम हो जायेगा कि आपकी वेबसाइट पर जो विजिटर आटे हैं. वो आपकी वेबसाइट में क्या क्या देखना चाहते है |

फीडबैक बहुत ही पावरफुल तरीका है एक अच्छी कंपनी बनाने का , उदाहरण के लिए आप गूगल को ही ले लीजिए गूगल ने अपने यूजर से फीडबैक लेकर कितना बदलाव कर लिया है |

अगर आप google वेबमास्टर इवेंट की विडियो देखना चाहते हैं तो नीचे दी गयी विडियो को प्ले करके देख सकते हो |




youtube से कमाई करने के पांच तरीके 
29 तरीक तरीके जो आपके गूगल सर्च को बेहतर बनाते हैं 

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